- सरिता त्रिपाठी
बूढ़ा हो चला दिसम्बर,
बीतने वाला दो हजार बीस,
जवानी छायी सदी तुझको,
आने वाला दो हजार इक्कीस।
खुशियाँ भर-भर लाये इक्कीस,
दिलों में छाये सबके इक्कीस,
दूर हो जाये कोरोना सभी से,
भूल जाये अब दो हजार बीस।
दौर इक्कीसवीं सदी का,
दिखलाये नये-नये व्यवधान,
लाने वाला क्या है बाकी,
नहीं जाने कोई इन्सान।
है इंतजार तेरा जनवरी,
बेसब्री से सभी को,
कितनी जल्दी बीत जाये,
ये दिसम्बर माह अंतिम।