“वर्तमान समय चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति में भाग गिरता जा रहा है। आज हमारी संसद में 35 वर्ष से कम उम्र के मात्र 20% नेता ही है और उनमे से 70 से 90 प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति में आये हैं। हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा सक्रिय राजनीति में बहुत कम हिस्सा लेते हैं।“
वर्तमान समय में युवा और उनके परिवार
भूमंडलीकरण की घटनाओं के कारण निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरी से अधिक संतुष्ट हैं।
हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा सक्रिय राजनीति में बहुत कम प्रतिशत
हिस्सा लेते हैं, हालांकि सरकार की ओर से
इन मामलों में बहुत कम प्रतिक्रिया हुई। सरकार को कॉलेज की राजनीति को सक्रिय रूप
से प्रोत्साहित करना चाहिए और छात्र संघों को पहचानना चाहिए, ताकि छात्र बाद के चरणों में राजनीति की
सक्रिय भागीदारी कर सकें।
'चम्पारण सत्याग्रह' इस बात का उदाहरण है की
युवा किस प्रकार देश की राजनीति को बदल सकते हैं।इस सत्याग्रह में गाँधी जी के आह्वाहन पर 'बाबू राजेंद्र प्रसाद' जैसे युवा सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उभरे। गाँधी जी ने युवाओं को प्रमुखता के साथ
स्वंतंत्र आन्दोलन से जोड़ा जिसके परिणाम स्वरुप 'सरदार वल्लभ भाई पटेल', 'जवाहर लाल नेहरु', 'सरोजिनी नायडू', आदि जैसे महान नेता भारत को प्राप्त हुए। वहीँ युवा भगत सिंह की दूरदर्शी
क्रांतिकारिता और समाजवादी उद्देश्य आज भी देश के युवाओं हेतु प्रेरणा स्रोत है।
मध्ययुगीन काल और औपनिवेशिक युग के दौरान
युवाओं के पास राजनीति में प्रत्यक्ष हिस्सा लेने के लिए कम विकल्प थे, इसके बावजूद उस समय ऐसे युवा राजनीति में आगे
बढे जो आगे चलकर महान नेता बने लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत के संविधान ने मानदंड
निर्धारित किए, उन्हें भारतीय नागरिक
होना चाहिए और एमएलए और एमपी के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष, ग्राम पंचायत सरपंच के लिए 21 वर्ष होनी
चाहिए। इस प्रकार एक बार उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद वे सीधे राजनीति में भाग ले
सकते हैं।
राजनीति में भी बदलाव लाना जरुरी है जिससे
इसमें जुझारू व पढाई में अव्वल युवाओं का समावेश भी संभव हो। कॉलेज राजनीति में अपराधीकरण को रोकना होगा
तथा अनुचित व्यय पर नियंत्रण करना होगा। कॉलेज की राजनीति में राजनैतिक दलों का हस्तछेप सीमित करना
होगा तथा विद्यार्थियों का राजनैतिक लाभों हेतु लामबंदीकरण रोकना होगा।
युवाओं के राजनैतिक विकास के लिए स्वायत्त व
स्वतंत्र कॉलेज राजनीति के साथ साथ बचपन से ही आदर्श नेता के गुण स्थापित करने
होंगे, इसमें स्कूलों द्वारा
विचार विमर्श तथा तर्क वितर्क की क्षमता का विकास शामिल होना चाहिए। बच्चों को शिक्षा द्वारा अपनी आस-पास की
समस्याओं का विश्लेषण करने की योग्यता देनी होगी। युवाओं में राजनीतिक कौशल विकास हेतु पंचायतों व नगर
पालिकाओं को बड़ी भूमिका निभानी होगी। इस स्तर पर प्रशिक्षण द्वारा युवाओं को भविष्य की राजनीति
हेतु तैयार किया जा सकता है।
कानूनी मानदंडों के अलावा, राजनीति में युवाओं की भागीदारी से
संबंधित युवा मामलों पर संसदीय समिति उन पहलुओं पर गौर करे जो युवाओं को
करियर विकल्प के रूप में राजनीति करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। 'मन की बात ’जैसी सरकारी पहलें युवाओं को जोड़ने और देश
के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गुंजाइश प्रदान
करती हैं और युवाओं को खुले में शौच और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 'स्वच्छ भारत’, विस्सल ब्लोअर जैसे समाधान का हिस्सा बनाया जा सकता है।
अन्ना के लोकपाल आंदोलन, दिल्ली सामूहिक बलात्कार
उत्पीड़न, समान रूप से युवाओं में
राजनीतिक जागरूकता पैदा करते हैं।
हालांकि, इन सभी के बावजूद, वर्तमान युवाओं का मानना है कि राजनीति उनके लिए नहीं है।
यह बड़े पैमाने पर वर्तमान राजनीति की छवि के कारण है - लगातार भ्रष्टाचार जैसे 2
जी, कोयला घोटाले ; संसदीय कार्यवाही में धन, चुनावों में धन और बाहुबल का उपयोग, गठबंधन सरकारों का लगातार पतन, सत्ता का लालच, राजनीति और गिरफ्तारी का अनैतिक खेल - ये सभी युवाओं को सोच
की राजनीति से डरते हैं और उन्हें दूर रखते हैं, यहां तक कि माता-पिता भी इस विकल्प के लिए आगे नहीं आते
हैं। अपने बच्चों को राजनीति में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना उनके लिए खतरे
की घंटी है। पर वर्तमान समय चिंताजनक स्तिथि को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति
में भाग गिरता जा रहा है। आज हमारी संसद में 35 वर्ष से कम उम्र के मात्र 20% नेता ही
है और उनमे से 70 से 90 प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति
में आये हैं।
वर्तमान में भारत के युवाओं और बच्चों में
कुल जनसंख्या का लगभग 55% हिस्सा है। भारत युवा राष्ट्र है और दुनिया में सबसे
तेजी से विकास करने वाला राष्ट्र है। जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाने के लिए हमें
समावेशी विकास की आवश्यकता है - युवा राजनीति एक ऐसा अछूता क्षेत्र है, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और नीति
निर्माण में योगदान करने के लिए उन्हें नया करना चाहिए। सबसे बड़ी युवा आबादी वाले
राष्ट्र को वर्तमान गतिशील नेतृत्व के बाद राष्ट्रीय भवन के नेताओं में विराम नहीं
देना चाहिए। पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री के उपर्युक्त विचार दर्शाते हैं की
युवावस्था वह समय है जब व्यक्ति के पास महान परिवर्तनों को लाने की शक्ति होती है।
युवा उस वायु के सामान है जो अपने वेग से
समाज , राजनीति और दुनिया को
बदलने की क्षमता रखती है। युवाओं में वह ओज होता है
जो उन्हें नए विचारों के प्रति सजग रखता है और उनके पास अतीत से सीखने की काबिलियत
भी होती है। जब युवा राजनीति में आते
हैं तो नव परिवर्तन की धारा बहती है और नयी सोच का निर्माण होता है। जब युवा पुनः राजनीति में लौटेंगे तो निश्चित
ही देश विकास के मार्ग पर चल निकलेगा। युवाओं से यही आशा है की वे दुष्यंत कुमार के वाक्य
अपने ह्रदय में उतार कर राजनीति में प्रवेश करेंगे और नव देश का निर्माण करेंगे।
"सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए।