पहली बार लागू की जा रही यह सुविधा, व्हील्सआय ने बुधवार 16 दिसंबर को शुरू की। इस सुविधा में एआई आधारित स्वचालित पहचान प्रक्रिया शामिल है और उन उपयोगकर्ताओं को स्वतः पैसा वापस कर दिया जाता है जिन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। यह प्रणाली भारत के सभी फास्टैग आधारित टोल प्लाजाओं पर काम करती है। यह तकनीक नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और आईडीएफसी बैंक के साथ मिलकर विकसित की गयी है। प्रभावित ग्राहकों को राहत प्रदान करते हुए, व्हील्सआय ने न केवल स्वचालित पहचान और धनवापसी सुनिश्चित की है, बल्कि इसे 21 दिनों से बदले मात्र 3-5 दिनों में समेट दिया है।
व्हील्सआय टेक्नोलॉजी के प्रवक्ता सोनेश जैन ने कहा, 'ई-टोल संग्रह प्रणाली विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का प्रतीक है। वे एक तेज पारगमन विकसित करते हैं, धांधलेबाजी रोकते हैं और अर्थव्यवस्था में पैसे का कुशल प्रवाह बनाते हैं। नॉर्वे, इटली, जापान, अमेरिका, जर्मनी जैसे देशों में 1969 से ई-टोल संग्रह प्रणाली है, परन्तु भारत ने अभी शुरुआत मात्र ही की है। सरकार द्वारा इसे अनिवार्य बनाने और कोविड-19 के चलते संपर्क रहित टोल लेन-देन को बढ़ावा मिलने के कारण फास्टैग का चलन तेज़ी से बढ़ा है । हालांकि, भारत बड़े पैमाने पर फास्टैग अपना चुका है, हम अभी भी एक गड़बड़ी मुक्त और सुचारू फास्टैग अनुभव से बहुत दूर हैं।‘