✍️ अंजू जांगिड़ (सोजत-रोड़, राजस्थान)
तू यूं ही मिला मुझे
साइबर पर चलते चलते,
बस हम तो रह ही गए
तुझे देखते देखते..!
पहली ही मुलाकात में
यूं तकरार हुई,
फिर क्या होना था तकरार
प्यार में बदल गई..!
तुझे देखते ही कुछ
अपना सा आभास हुआ,
आज तक जिंदगी में जो
ना मिला था तू वह खास हुआ..!
मेरे हर लफ्ज़, लफ्ज़ में
तू ऐसे समाया रहा,
तेरे हर शब्द, शब्द में
मैं हर कहीं दिखती रही..!
अब तो यह आलम है
तू नहीं तो कुछ नहीं,
सनम तू है जहां तेरे
साथ "अंजू" भी वही..!
अब हम मिलकर इश्क की
एक नई इबारत लिखें,
जहां चाहत की बुलंदियों पर
मुझे सिर्फ तू ही तू दिखे..!