✍️ प्रीति शर्मा "असीम" (नालागढ़, हिमाचल प्रदेश)
इस घड़ी ने घड़े की,
कीमत बता दी।
जो लोग...
मिट्टी से टूट चुके थे।
मिट्टी ने,
आज अपनी,
उनको अहमियत बता दी।
इस घड़ी ने,
घड़े की कीमत बता दी।
युगों-युगों से यह बताते रहे।
साथ मिट्टी के जीवन गीत गाते रहे।
इस घड़ी ने,
घड़े की कीमत बता दी।
जो लोग भूल चुके थे।
आधुनिकता की दौड़ में,
घड़ा याद आता था।
अंतिम समय के मोड पे।
आज वही घड़ा याद आ रहा है।
जीवन घड़ी के,
इस छोर से उस छोर में।
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